Tuesday, September 22, 2015

मैंने छोड़ ही दिया तकदीर को खुद तकदीर के ही हवाले 
मुझे मालूम है जब वक़्त संभलेगा ये खुद ही सवर जाएगी। 

Sunday, September 13, 2015

 किस् से कहे हम हाल -ए-दिल अपना 
मिटा कर खुदको अब एक पहेली बन जाना चाहती हुँ। ………… भावना  

Wednesday, September 2, 2015



देख मेरे भारत  की हालत
 ये  केसा हुआ जाता है
लगता है अब देख के इसको
ये अपंग हुआ जाता है


मना रहे सब आज़ादी का जश्न
कोई बिना जुल्म जेल में मर जाता है
केसा भारत जिसपर गर्व हो हमको
भाई  ही भाई का खुनी हो जाता है

मानता है बीवी का जन्मदिन
और बाप घर में भूखा सो जाता है
मेरा भारत महान कैसे हो सकता है
जब इक अबला को  लूटा जाता है

बंद करो ये जश्न-ए -आज़ादी जब  तक
हर मुजरिम सजा ना  पाता है
पहले आजाद करो खुद  के मन को
फिर कहना  भारत आज़ाद हमारा  है। 
................ भावना 

zindgi mei ab or koi chahat nahi ...... ae bewafa mujhe teri ab chahat nahi