Tuesday, October 6, 2015

तरस गए हम तुमसे दो पल की गुफ्त-गु के लिए 
और लोग कहते हैं की तुम बोलते बहुत हो।. . . . .  भावना 

Tuesday, September 22, 2015

मैंने छोड़ ही दिया तकदीर को खुद तकदीर के ही हवाले 
मुझे मालूम है जब वक़्त संभलेगा ये खुद ही सवर जाएगी। 

Sunday, September 13, 2015

 किस् से कहे हम हाल -ए-दिल अपना 
मिटा कर खुदको अब एक पहेली बन जाना चाहती हुँ। ………… भावना  

Wednesday, September 2, 2015



देख मेरे भारत  की हालत
 ये  केसा हुआ जाता है
लगता है अब देख के इसको
ये अपंग हुआ जाता है


मना रहे सब आज़ादी का जश्न
कोई बिना जुल्म जेल में मर जाता है
केसा भारत जिसपर गर्व हो हमको
भाई  ही भाई का खुनी हो जाता है

मानता है बीवी का जन्मदिन
और बाप घर में भूखा सो जाता है
मेरा भारत महान कैसे हो सकता है
जब इक अबला को  लूटा जाता है

बंद करो ये जश्न-ए -आज़ादी जब  तक
हर मुजरिम सजा ना  पाता है
पहले आजाद करो खुद  के मन को
फिर कहना  भारत आज़ाद हमारा  है। 
................ भावना 

Monday, August 24, 2015

तेरे आँचल तले  सर रखकर माँ जाने कब नींद आ जाती थी 
अब नरम बिस्तर पर भी माँ सिर्फ  करवटे ही बदलती हुँ पर नींद नहीं आती।  ..........भावना 

Wednesday, August 19, 2015

इक तेरे सिवा हर शक्स ने समझा मेरा दर्द 
और इक तूने मेरे लिखे को पढ़ा भी नही................भावना

Tuesday, August 18, 2015

मुझे गम नही जो भुला दिया उसने हमें 
हम थे कभी उनके इतना ही काफी है। .......... भावना
 वो भूल भी जाये मुझे ताज्जुब नहीं 
मुझे  मालूम है वो  मेरा प्यार था और मैं उनका शौक …… भावना

Monday, August 10, 2015

 वो बात दिल से नहीं दिमाग से किया करते थे 
जिनके लिए हम अक्सर घरवालो से लड़  लिया करते थे 
ये जान ही नहीं पाये के उनके ज़ेहन में फरेब था 
जिसके हर झूठ को भी हम सच मान लिया करते थे …………… भावना

Monday, July 13, 2015

कुछ देर से बरसा बादल भी मेरे आँगन में
मेरी किस्मत की तरह कुदरत भी करती मुझसे मजाक है। ……………… भावना
तेरी  कुछ यादें ही हैं मेरे दिल - ओ - दिमाग में
और लोग कहते  है की मैं सोचती बहुत हुँ। ………… भावना

Saturday, June 27, 2015

मैं  तनहा जरूर हुँ मगर मजबूर नहीं इसलिए
 ऐ दोस्तों मुझपर तरस खाकर गुनाह ना करना। .............भावना
चले तो जाते है लोग ज़िंदगी से अक्सर 
पर  उनकी यादो का कारवां उम्रभर के लिए ठहर जाता है। …………………… भावना
मेरे  होने से कब किसको कुछ मिला है
पर  इतना है यकीन मेरी कमी का हिस्सा सबको कुछ खला है
लूटा तो  है मेरा जहां लेकिन
चमन -ऐ सुकून भी  कहाँ  किसी को मिला है…………भावना 

zindgi mei ab or koi chahat nahi ...... ae bewafa mujhe teri ab chahat nahi